...

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Khud Ki Talaash
कोशिश बहुत करी थी छुपाने की।
पर आज वो सब लिख रहा हूं।

सब से छुपा कर रखा था।
आज वो दर्द लिख रहा हूं।

मैं ना ही हूं ना ही था कुछ।
सिर्फ खयालों में बिक रहा हूं।

चंद लम्हों में जिंदगी सिमट गई थी।
मैं अब भी जीने को मिट रहा हूं।

काश कोई मेरी खुशी लौटा दे
जो बचपना पहले था वो लौटा दे।

हंस तो रहा हूं झूठी हंसी।
काश कोई मेरी मुस्कान मुझे लौटा दे।

नहीं रहा वो चिराग जो पहले हुआ करता था।
काश कोई मेरा वजूद मुझे लौटा दे।