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एक रंग एक रूप का इस दिल पर पहरा है
एक रंग एक रूप का
इस दिल पर पहरा है
उसी दिल का दिया हुआ
यह उदासी सा चेहरा है
पढ़ना दिल से इस कविता को
दिखेगा उसकी दिल पर डेरा है
उसने मानी की नहीं मानी मुझे हम सफर पता नहीं
लेकिन मैंने माना कि वह सिर्फ मेरा है
दुनियां को किया दरकिनार
वह सच्ची मुहब्बत हमारा है
जीसे लिख रहा हूं मैं कलम तोड़ कर
उसकी इस दिल पर डेरा है
ढ़ल गई है दिन लेकिन
उसके लिए नयन उजाला है
देख रहा हुं कि जुगनूओं के साथ
उसका हुआ सवेरा है
जहां से सुरू हुई
वही पर आकर खत्म नज्म हमारा हैं
देखों देखने वालों तड़प रहा दिल ऐसे जैसे
मछली को किया किसी ने पानी से किनारा है
याद आते है हम उसको कि नहीं , नहीं खबर
लेकिन आंखें होता सजल हमारा है
जो देख रहा है न दुःखी चेहरा
यह प्यार प्रेम में उसी का मारा है
एक रंग एक रूप का ,,,,,,
संदीप कुमार अररिया बिहार
© Sandeep Kumar
इस दिल पर पहरा है
उसी दिल का दिया हुआ
यह उदासी सा चेहरा है
पढ़ना दिल से इस कविता को
दिखेगा उसकी दिल पर डेरा है
उसने मानी की नहीं मानी मुझे हम सफर पता नहीं
लेकिन मैंने माना कि वह सिर्फ मेरा है
दुनियां को किया दरकिनार
वह सच्ची मुहब्बत हमारा है
जीसे लिख रहा हूं मैं कलम तोड़ कर
उसकी इस दिल पर डेरा है
ढ़ल गई है दिन लेकिन
उसके लिए नयन उजाला है
देख रहा हुं कि जुगनूओं के साथ
उसका हुआ सवेरा है
जहां से सुरू हुई
वही पर आकर खत्म नज्म हमारा हैं
देखों देखने वालों तड़प रहा दिल ऐसे जैसे
मछली को किया किसी ने पानी से किनारा है
याद आते है हम उसको कि नहीं , नहीं खबर
लेकिन आंखें होता सजल हमारा है
जो देख रहा है न दुःखी चेहरा
यह प्यार प्रेम में उसी का मारा है
एक रंग एक रूप का ,,,,,,
संदीप कुमार अररिया बिहार
© Sandeep Kumar
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