...

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सुकून


जब किसीने पूछा मुझसे,
कहाँ मिलता है सुकून ?
हँसकर मैंने कह दिया,
हरजगह! बस ढूंढो साथ लेकर जूनून।

हर भवर में, हर प्रहर में,
मिलजाएगा सुकून तुम्हें।
छोटे-छोटे कामों में,थके हुए इंसानों में,
मिलजाएगा सुकून तुम्हें।

सुबह ओंस की बौछारों में,
या पानी के फव्वारों में।
जंगल की तीखी झारों में,
या समुद्र के किनारों में।

मिलजाएगा सुकून तुम्हें,
बस ढूंढना है साथ अपने शांत मन
और ख्वाब लेकर, काली रातों को
भरता उस चंद्र‌मा का साथ लेकर।

मिलजाएगा सुकून तुम्हें,
योगियों का ज्ञान लेकर।
मिलजाएगा सुकून तुम्हे,
भावनाओं की नांव लेकर।

© Aryan Kishu