अलविदा
ए मेरे गुजरते हुए साल
तुम आज जा रहे हो
या हो रहे हो विलोप
तुम अब बस याद में रहोगे
तुम जैसे निभते रहे
मुझसे पूरे साल साथ
कुछ खटाई और कुछ मिठाई के
अब चाहूँ तब भी
तुम वापस ना आओगे
कभी अपने होने का
साथ न जाने किस तरह से
जब तब अहसास कराओगे
फिर जब तुम गुजर रहे हो
मैं भी अपने को समझ कर
नव वर्ष के पटाखे छोड़ रहा
तुम्हें जाते हुए देख भी
अपना साथ भूल रहा हूँ
इंसान हूँ यार अपनी
फितरत नही छोड़ रहा हूँ
तुम्हें भूल रहा हूँ
तुम्हें भूल रहा हूँ
अलविदा
सुरेंद्र बंसल
तुम आज जा रहे हो
या हो रहे हो विलोप
तुम अब बस याद में रहोगे
तुम जैसे निभते रहे
मुझसे पूरे साल साथ
कुछ खटाई और कुछ मिठाई के
अब चाहूँ तब भी
तुम वापस ना आओगे
कभी अपने होने का
साथ न जाने किस तरह से
जब तब अहसास कराओगे
फिर जब तुम गुजर रहे हो
मैं भी अपने को समझ कर
नव वर्ष के पटाखे छोड़ रहा
तुम्हें जाते हुए देख भी
अपना साथ भूल रहा हूँ
इंसान हूँ यार अपनी
फितरत नही छोड़ रहा हूँ
तुम्हें भूल रहा हूँ
तुम्हें भूल रहा हूँ
अलविदा
सुरेंद्र बंसल