...

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ग़ज़ल
चन्द अशआर ~

अपनी तक़दीर से उलझता हूं।
जिगर की पीर से उलझता हूं।

कैद है रूह मेरी कबसे यहां,
तन की जंजीर से उलझता हूं।

तू जो मिलता नहीं तो मैं अक्सर,
तेरी तस्वीर...