...

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संभल रहें हैं हम...
#जंजीर
इन जंजीरों को तोड़कर,
रुख हवा का मोड़कर,
चल रहे हैं देखो हम।
मन से मन को जोड़कर,
ज़िन्दगी को समझकर,
मिल रहें हैं देखो हम।
ख़ुशियों को संजोकर,
लम्हों को समेटकर,
संभल रहें हैं देखो हम।

© संगीता साईं 'धुन'

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