...

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गाँव ।।
उस गाँव ने फिरसे पुकारा है शायद
तभी बेचैनी की है ये कवायद
ज़ोर से चिल्ला के कह रहा क्या लेने गया था शहरों में
यहाँ तो देख सब साथ है सुख दुख की लहरों में
तू वहाँ न खुद का हो पा रहा है ना अपनों का
क्या रह गया तेरे पास अब बिना तेरे सपनो का
लड़ जाता था ना सबसे अपने शहरों के लिए हमसे
बता तो हमारे जितनी हमदर्दी दिखा रहा है ये तुमसे
इसी गाँव के एक पेड़ का एक छोटा फल तू भी था
आखरी लम्हो में देख भी ना पाया जो शायद...