...

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पहली बारिश...
ये पहली बारिश की बूंदों में तेरी याद आती है।
मिट्टी की सौंधी खुशबू में तेरी खुशबू आती है।

जब-जब बारिश की बूंदें तन को छू जाती है!
बूँद बूँद में तेरी हँसी की खनक दिख जाती है।

रिमझिम बारिश में जब याद तुम्हारी आती है!
भींगे भींगे ख्वाबों में सुरत तेरी दिख जाती है।

चमकते आसमान के बूंदें जब गीत सुनाती है!
हर बूंद में आवाज तुम्हारी सुनाई दे जाती है।

ये बरसाती हवाएं जब दिल को बहलाती है!
तेरी हँसी तेरी बातें तेरी अदाएं दिख जाती है।

याद आतें है सारे लम्हें जो तेरे साथ बिताए हैं!
ये पहली बारिश "महज़" को बड़ा सताती है।
© महज़