...

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Tirnga
सरहद पे गोली खाके जब टूट जाए मेरी साँस
मुझे भेज देना यारों मेरी बूढ़ी माँ के पास

बड़ा शौक था उसे मैं घोड़ी चढूं
धमाधम ढोल बजे

तो ऐसा ही करना
मुझे घोड़ी पे लेके जाना
ढोलकें बजाना, पूरे गांव में घुमाना

और माँ से कहना
बेटा दूल्हा बनकर आया हैँ
बहू नहीं ला पाया तो क्या
बारात तो लाया हैँ

मेरे बाबूजी, पुराने फ़ौजी,
बड़े मनमौजी
कहते थे- बच्चे, तिरंगा लहरा के आना
या तिरंगे में लिपट के आना

कह देना उनसे, उनकी बात रख ली
दुश्मन को पीठ नहीं दिखाई
आख़िरी गोली भी सीने पे खाई

मेरा छोटा भाई, उससे कहना
क्या मेरा वादा निभाएगा
मैं सरहदों से बोल कर आया था
कि एक बेटा जाएगा तो दूसरा आएगा

मेरी छोटी बहना, उससे कहना
मुझे याद था उसका तोहफ़ा
लेकिन अजीब इत्तेफ़ाक़ हो गया
भाई राखी से पहले ही राख हो गया

वो कुएं के सामने वाला घर
दो घड़ी के लिए वहां ज़रूर ठहरना
वहीं तो रहती है वो
जिसके साथ जीने मरने का वादा किया था

उससे कहना
भारत माँ का साथ निभाने में उसका साथ छूट गया
एक वादे के लिए दूसरा वादा टूट गया

बस एक आख़िरी गुज़ारिश
आख़िरी ख़्वाहिश

मेरी मौत का मातम न करना
मैने ख़ुद ये शहादत चाही है
मैं जीता हूँ मरने के लिए


𝗛𝗮𝗽𝗽𝗬 𝗜𝗻𝗱𝗲𝗽𝗲𝗻𝗱𝗲𝗻𝗰𝗘 𝗗𝗮𝗬

𝗝𝗮𝗶‌ 𝗛𝗶𝗻𝗗


© Pooja Sharma