...

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एक दिन, एक सपना, और एक इरादा
क्या मर_ मर कर ये जीना है,
एक दिन मुझे भी सवरना है।
थक कर हार न जाना अब,
उस दिन के लिए ही जीना है,
हर विष को खुशी से पीना है।
माना जीवन निश्चित नही
पर जीते जी तो जीना है।
कल किसी ने देखा न हो मगर
कल बेहतर खुद को बनाना है।

निराशा के हर जाल को काट,
अब तुझको बाहर निकलना है।
ये भवसागर है, हर रोज यहां
अनगिनत गोते लगाते हैं,
जो मान गया वो डूब गया,
जो ठान गया वो शिखर पे है।

किस्मत का रोना क्या रोना
किस्मत की कलम तो कर्म लिखे
न हार मान अब बैठो तुम,
न थक कर यूं ऐंठो तुम
ये वक्त बुरा चुप हो जाओ,
मंजिल की तरफ चलते जाओ
है चाल तेरी जो कछुए _ सी,
उसपे भी थोड़ा काम करो
सबकुछ किनारे पर रखकर
अब थोड़ा खुद पे ध्यान रखो,
हर चूक को पहले थीक करो,
सजग बनो, और सफल बनो।
जो रोक रही रोढ़ा बनकर
उसे समझो और जल्दी ठीक करो।

10/4/2024



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