...

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शहर तेरा,यादें तेरी
#मयखाने
जब से हुई है मेरी आमद शहर में तेरे
मुझसे रूठे रूठे सारे मयखाने हैं
जब से हुई है आमद मेरी शहर में तेरे
जब से हुई है मेरी आमद शहर में तेरे
मुझसे रूठे रूठे सारे मयखाने हैं
खुशबू-ए-नशा भी मुझसे शिकायत करती है
फिर भी दिल में अजीब सी कशिश है तेरी
जैसे कोई खोई हुई चीज मिलती है

तेरी गलियों में हर कदम पर तू दिखता है
तेरी यादों का हर कोना गूंजता है
तेरी नज़रों की तलाश में मैं भटकती हूँ
जैसे कोई प्यासा तलाश रहा हो पानी

तेरे नाम की दुआएं अब मेरे होंठों पर हैं
तेरे ख्यालों में खोकर मैं अक्सर खो जाती हूँ
शायद तेरी ही तलाश में मैं आई हूँ यहाँ
जैसे कोई दीवाना ढूंढ रहा हो अपना घर

न जाने कब खत्म होगी ये तन्हाई
न जाने कब मिलेगा मुझे तेरा साथ
बस एक ही उम्मीद है मेरे दिल में
कि शायद एक दिन तू भी होगा मेरे साथ

जब तक वो दिन नहीं आता
तब तक मैं बस तूझे ही सोचती रहूंगी
तेरे ख्वाबों में ही कोई राहू
और तेरे ही दीदार की आस में जीती रहूंगी।