!...आखिरी खत...!
ये कहा चली आ रही हो तुम
क्या पता नहीं, वो चला गया
वो कहा गया मुझे दो खबर
मेरे दिल को दिल से मिला दो तुम
वो तो कब का मर के दफन हुआ
वो मरीज जो वफादार था
नहीं ये नहीं बिल्कुल नहीं
वो नहीं मरा, वो नहीं गया
वो तो जान था गुल ओ लाला का
वो नहीं मरा वो नहीं मरा
मुझे क्या हुआ मेरी जां गई
मेरे दिल को क्यों न खबर हुआ
रुको, ये खत तो लो, चलो जाओ अब
यहीं इक खजाना है बचा हुआ
क्या है लिखा मुझे दे भी दो
मेरा यार मेरा दिल गया
ये जो दिल बना है...
क्या पता नहीं, वो चला गया
वो कहा गया मुझे दो खबर
मेरे दिल को दिल से मिला दो तुम
वो तो कब का मर के दफन हुआ
वो मरीज जो वफादार था
नहीं ये नहीं बिल्कुल नहीं
वो नहीं मरा, वो नहीं गया
वो तो जान था गुल ओ लाला का
वो नहीं मरा वो नहीं मरा
मुझे क्या हुआ मेरी जां गई
मेरे दिल को क्यों न खबर हुआ
रुको, ये खत तो लो, चलो जाओ अब
यहीं इक खजाना है बचा हुआ
क्या है लिखा मुझे दे भी दो
मेरा यार मेरा दिल गया
ये जो दिल बना है...