कल और आज
बदलते वक्त के अनुसार इंसान ढलते जा रहे हैं,
कल के राम और आज वो रावण बनना चाह रहे है।
बहन की रक्षा के लिए राम बनो,खुद को रावण मत बना लो,
ताकि खुद की बहन की रक्षा में, दूसरों के बहन के साथ कोई गलत कदम ना उठा लो।
विकास के रफ्तार में इंसानियत बहुत पीछे छूट गई,
संस्कार की तो बदलते वक्त के साथ इंसानों से नाता है टूट गयी।
कल तक किताबे संभालने वाली...
कल के राम और आज वो रावण बनना चाह रहे है।
बहन की रक्षा के लिए राम बनो,खुद को रावण मत बना लो,
ताकि खुद की बहन की रक्षा में, दूसरों के बहन के साथ कोई गलत कदम ना उठा लो।
विकास के रफ्तार में इंसानियत बहुत पीछे छूट गई,
संस्कार की तो बदलते वक्त के साथ इंसानों से नाता है टूट गयी।
कल तक किताबे संभालने वाली...