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#मर्ज
#मर्ज
ये जो मर्ज है अब हकीमो के बस का रहा नही
ये लड़का उसके दर के सिवा कहीं का रहा नही
उसके ख्यालों के सिवा जहन में कुछ रहा नही
उसकी बेंच पर लिखा था जो नाम अपना रहा नही।
उसे देख कर जज्बात हमारे काबु मे रहते नही
वो पास आ भी जाये तो हम कुछ कहते नही
मेरे गाँव के पुराने रास्ते उसके शहर जाते नही
प्यास लगी है दरिया सामने है पानी पीते नही।।
© Nitish Nagar
ये जो मर्ज है अब हकीमो के बस का रहा नही
ये लड़का उसके दर के सिवा कहीं का रहा नही
उसके ख्यालों के सिवा जहन में कुछ रहा नही
उसकी बेंच पर लिखा था जो नाम अपना रहा नही।
उसे देख कर जज्बात हमारे काबु मे रहते नही
वो पास आ भी जाये तो हम कुछ कहते नही
मेरे गाँव के पुराने रास्ते उसके शहर जाते नही
प्यास लगी है दरिया सामने है पानी पीते नही।।
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