...

22 views

"कुछ यूँ ही ,जुड़े, रहिये अपनों से"।।
बेवजह तिल का ताड़ कर,
हम अपनों से लड़ बैठे।।
बेगैरत हुए महोल्ल्ले में, और अपनों में,
फिर, भी अहम और जिद्द की डोर ना छोड़े।।

समझ लेते ,अपनों को अपनेपन से,
शायद सम्भल जाते समय से।।
ना घर के रहे, ना घाट के,
बस जुनून में लड़ बैठे ।
और अपना ही बिगाड़ लिया, अपने से।।

रिश्तों में , शर्तो और किस्तों को दूर ही रखिये।
अफवाहों, और कहीं-सुनी से तनिक बचिये।।

दिल की सुनिये, हो -सकें तो मिलकर ,
गिले- शिकवे, तस्सली से दूर कीजिये।।
कुछ कम या, कुछ ज्यादा, जो भी हो,
खुश रहिये, और खुश रखिये।।

क्योंकि सुख हो, या दुःख,,
आते और निभाते अपने ही हैं।।
बस लालच, और महत्वकांक्षा की आड़ में,
अपनों को अपने से ना तोड़िए।।

हमारी हर सफलता ,में सारा संसार साथी होता है।
पर दुःख और असफलता में सिर्फ अपना ही सहारा देता है ।।

किसी से जुड़िये, या ना जुड़िये,
पर जो जुड़ा है, मुकद्दर से ।
उसे यूँ- ही ना छोड़िए, बेवजह के किस्सों से।।


© Rishav Bhatt