...

17 views

अबसार
ये उसके निगाहों की तकमील है कि उसे सब पसंद करते है ,
वरना नज़ारे हमारे भी कुछ खराब नही हैं ।
उसके अबसार-ए-मेहराब के तो कतारे-ए-ज़मात है ,
बाजार में बस हम ही ताज़ीर नई है ।
पर कुछ बात है उसकी निगाहों में साकी ,
इस ज़मात में उसके नज़ारों में हम और हमारे निगाहों में बस वही हैं ।

© saransh07