...

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एक मकसद
छोटा ही सही एक मकसद हो
जिन्दगी में थोड़ा जिंदापन हो
कब तक जिएगा निर्जिव की भांति
थोड़ी सी खुदकी भी जिंदगी हो

छलावे तो आने ही हैं
तभी तो ये जिन्दगी हैं
पर छलावों में ही उलझेगा
तो फिर किस काम की जिन्दगी हैं

खण्डित करने तो लाखों आएंगे
अखण्ड तो तुझे ही बनना हैं
यदी युद्ध ही समझता है जिंदगी को
तो ये युद्ध तुझे ही लड़ना हैं

बदकिस्मत समझता है ना खुदको
बदकिस्मत तो सारी दुनिया है
इंस्टा के हसीन नकाबों के पीछे
देख जाकर दुखी सारी दुनिया है

भाग रही है दुनिया सारी
चिंधि चीजों के चक्कर में
अलग अगर कुछ करना ही हैं
तो बस जीकर दिखा सच्चाई में

सच्चाई तुझको पता भी कैसे होगी
इन चीजों की तो कहीं बात तक नहीं होती
परिवार हो,दोस्त हो, कॉलेज हो या समाज
सारी दुनिया बस यहां रेस में है दौड़ती

ऐसे में तेरा मकसद कठिन तो बड़ा है
तेरी जिंदगी का तेरी ज़िम्मेदारियों से पाला पड़ा है
फिर भी दुनिया कुछ और है तू कुछ और है
क्योंकी बस तेरे हाथ में ही तेरी जिंदगी की डोर है

अब बस बैठे रहने से कुछ नहीं होगा
पानी मे उतरे हो तो तैरना तो पड़ेगा
हार मान गए तो इतिहास बन जाओगे
पर जिद पर अड गए तो इतिहास बना जाओगे
- सुमेध गायकवाड