तुम बिन जिया जाये कैसे
जलपरी थी जो सागर की
उखडी उखडी रहती हैं
क्या मिला कौनसा शिकवा
ना कुछ केहती हैं
बस चुप चाप सी...
उखडी उखडी रहती हैं
क्या मिला कौनसा शिकवा
ना कुछ केहती हैं
बस चुप चाप सी...