...

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#साँझ#
#सांझ
सांझ को फ़िर निमंत्रण मिला है
दोपहर कल के लिए निकला है
अब उठो तुम है इंतजार किसका
कौन है जो आने वाला है …..
नहीं फ़िकर तुम्हारी किसीको
क्यों होते हो बेक़रार तुम…..
मानो लो तुम बात मेरी ढाल लो
तुम ख़ुद को समय के साथ
बह निकलो हवा के साथ साथ.!!