...

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कशिश
उम्मीदों के जुगनू भरदे इन काली अँधेरी रातों में.....
कुछ जीत कि चाह रखले इन बिखरी हुई बातो में....

माना मुश्किल है पर वक़्त ही तो है
गुज़र जायेगा.....
बिखरा है जो पल वो संवर जायेगा

कर मन थोड़ा सा खुशनुमा हो तैयार ए रहनुमा..... तेरी कोशिश कि कशिश ही तो है...... जो तेरे साथ है खुदा.....


© VISHAKHA