देवतुल्य पिता🌸♥️
जिसके कारण देखी सृष्टि,
पाई ये काया है,
घने वटवृक्ष सा देता वही
शीतल छत्रछाया है,
डांट में भी जिसके छलकता
विशुद्ध नेह है,
क्रोध में भी जिसके झलकता
केवल स्नेह है,
नन्हें क़दमों को देता जो स्थिर सा
आधार है,
ऊंचे सपनों को देता जो
ठोस आकार है,
कठिनाइयां जिसको देख के
हो जातीं त्रस्त हैं,
संतान के शीश पे जो ईश सम
रखता वरदहस्त है,
मिले सफलता जिसके सहज
दिए आशीष से,
स्वयं है महादेव जो, साक्षात
अनंत का शुभाशीष है,
ऐसे देवतुल्य पिता को हृदय से
शत शत नमन है,
हृदय से कोटि कोटि वंदन,
अभिनंदन है!
♥️🌸♥️🌸♥️
— Vijay Kumar
© Truly Chambyal
पाई ये काया है,
घने वटवृक्ष सा देता वही
शीतल छत्रछाया है,
डांट में भी जिसके छलकता
विशुद्ध नेह है,
क्रोध में भी जिसके झलकता
केवल स्नेह है,
नन्हें क़दमों को देता जो स्थिर सा
आधार है,
ऊंचे सपनों को देता जो
ठोस आकार है,
कठिनाइयां जिसको देख के
हो जातीं त्रस्त हैं,
संतान के शीश पे जो ईश सम
रखता वरदहस्त है,
मिले सफलता जिसके सहज
दिए आशीष से,
स्वयं है महादेव जो, साक्षात
अनंत का शुभाशीष है,
ऐसे देवतुल्य पिता को हृदय से
शत शत नमन है,
हृदय से कोटि कोटि वंदन,
अभिनंदन है!
♥️🌸♥️🌸♥️
— Vijay Kumar
© Truly Chambyal
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