प्रेम
ईश्वर भी विरह में है पूर्ण प्रेम के!!!
शुद्ध प्रेम में ईश्वर के सामने जुड़े हुए हाथ
और अपने प्रेम की प्राप्ति के लिए
दिये के साथ जल रहे तुम्हारे हाथ भी,
ईश्वर सब देख रहे होते हैं..
आँखों से बहने वाले एक-एक अश्रु
बढ़ा देते हैं गंगा के बहाव को,
प्रेमी को पुकारते-पुकारते
तुम्हारें भीतर की आँहे
बदल जाती हैं प्रार्थना में,
वो धूपबत्तियां असल...
शुद्ध प्रेम में ईश्वर के सामने जुड़े हुए हाथ
और अपने प्रेम की प्राप्ति के लिए
दिये के साथ जल रहे तुम्हारे हाथ भी,
ईश्वर सब देख रहे होते हैं..
आँखों से बहने वाले एक-एक अश्रु
बढ़ा देते हैं गंगा के बहाव को,
प्रेमी को पुकारते-पुकारते
तुम्हारें भीतर की आँहे
बदल जाती हैं प्रार्थना में,
वो धूपबत्तियां असल...