तुम्हारा ये दर्द.... जानने वाले
तुम्हारा ये दर्द सिर्फ तीन लोग समझ सकते हैं...
एक जिसने मेडिकल की पढ़ाई की होगी..
दूसरी खुद एक औरत/लड़की
तीसरा वो इंसान जो तुमसे बेइंतहा प्यार, मुहब्बत करता होगा..वो भले ही कुछ भी ना जानता हो इस बारे में लेकिन वो तुम्हारे लिए सिर्फ तुम्हारे लिए सबकुछ जानेगा.. तुम्हारी सब प्रॉब्लम्स को समझेगा..और अपनाएगा।
ये तीन इन्सान इस समय कभी भी तुम पर गुस्सा नहीं करेंगे,
इस हाल में तुम्हें कभी भी छोड़कर नहीं जाएंगे, तुम भले ही उनके साथ कैसा व्यवहार करो... क्योंकि वो समझते हैं तुम्हारी अवस्था को,वो समझेंगे तुम्हारी मनोदशा को,
तुम्हारी चिड़चिड़ी बातों को नजरंदाज कर देंगे,
तुम्हारी गुस्सा, तुम्हारी बातें सबकुछ सहन कर लेंगे... क्योंकि वो जानते हैं कि ये जो तुम्हारा व्यवहार बदला हुआ है वो स्वाभाविक है... इस समय तुम कुछ भी दिल से नहीं बोल रही हो,
वो समझते हैं कि ये सब तो स्त्रियों को मिला वरदान के रूप में एक श्राप है कि यदि ये इस अवस्था से ना गुजरें तो पूर्ण स्त्री नहीं समझी जाती लेकिन इस चक्र के दौरान इन्हें अपवित्र समझा जाता है,ये हर महीने इतना दर्द सहती हैं लेकिन फिर भी इन्हें कमज़ोर कहा जाता है... हां सच ही कहते हो तुम लोग होती हैं ये कमज़ोर जब बात उस इन्सान की आती है जिनसे ये सबसे ज्यादा प्यार करती हैं, जिसका स्थान इनके जीवन में देवताओं से भी ऊपर होता है...लेकिन वही इनके इस तकलीफ को नजरंदाज करके चला जाता है, इनकी जिंदगी के हर पल को दुनिया के उस इन्सान के साथ तुलना करता है जो इनकी जिंदगी में आम स्थान रखता है, ये वैसा ही बर्ताव करते हैं जैसे वो किसी अजनबी के साथ या तुरंत मिले इन्सान के साथ करते हैं, वो वही एहमियत रखती है जो इनकी जिंदगी में आया नया इन्सान रखता है.. तुम्हारा ये दर्द हर कोई समझेगा इसकी उम्मीद तुम हरगिज़ मत करना, कभी भी मत करना ।।
© आकांक्षा मगन "सरस्वती"
एक जिसने मेडिकल की पढ़ाई की होगी..
दूसरी खुद एक औरत/लड़की
तीसरा वो इंसान जो तुमसे बेइंतहा प्यार, मुहब्बत करता होगा..वो भले ही कुछ भी ना जानता हो इस बारे में लेकिन वो तुम्हारे लिए सिर्फ तुम्हारे लिए सबकुछ जानेगा.. तुम्हारी सब प्रॉब्लम्स को समझेगा..और अपनाएगा।
ये तीन इन्सान इस समय कभी भी तुम पर गुस्सा नहीं करेंगे,
इस हाल में तुम्हें कभी भी छोड़कर नहीं जाएंगे, तुम भले ही उनके साथ कैसा व्यवहार करो... क्योंकि वो समझते हैं तुम्हारी अवस्था को,वो समझेंगे तुम्हारी मनोदशा को,
तुम्हारी चिड़चिड़ी बातों को नजरंदाज कर देंगे,
तुम्हारी गुस्सा, तुम्हारी बातें सबकुछ सहन कर लेंगे... क्योंकि वो जानते हैं कि ये जो तुम्हारा व्यवहार बदला हुआ है वो स्वाभाविक है... इस समय तुम कुछ भी दिल से नहीं बोल रही हो,
वो समझते हैं कि ये सब तो स्त्रियों को मिला वरदान के रूप में एक श्राप है कि यदि ये इस अवस्था से ना गुजरें तो पूर्ण स्त्री नहीं समझी जाती लेकिन इस चक्र के दौरान इन्हें अपवित्र समझा जाता है,ये हर महीने इतना दर्द सहती हैं लेकिन फिर भी इन्हें कमज़ोर कहा जाता है... हां सच ही कहते हो तुम लोग होती हैं ये कमज़ोर जब बात उस इन्सान की आती है जिनसे ये सबसे ज्यादा प्यार करती हैं, जिसका स्थान इनके जीवन में देवताओं से भी ऊपर होता है...लेकिन वही इनके इस तकलीफ को नजरंदाज करके चला जाता है, इनकी जिंदगी के हर पल को दुनिया के उस इन्सान के साथ तुलना करता है जो इनकी जिंदगी में आम स्थान रखता है, ये वैसा ही बर्ताव करते हैं जैसे वो किसी अजनबी के साथ या तुरंत मिले इन्सान के साथ करते हैं, वो वही एहमियत रखती है जो इनकी जिंदगी में आया नया इन्सान रखता है.. तुम्हारा ये दर्द हर कोई समझेगा इसकी उम्मीद तुम हरगिज़ मत करना, कभी भी मत करना ।।
© आकांक्षा मगन "सरस्वती"