पैसा:एक-दूसरे का एक अजब सा रिस्ता
पैसा एक अजब सा रिस्ता
जब तक हमलोग पैसे के सापेक्ष मे व्यापार (अनुबंध/लेवा-बेच) करते रहेगे,
एक-दूसरे के विरुद्ध और व्यस्त बने रहेगे |
क्युकी इंसान सिल्फ अपने बारे मे सोचता है,
और,
एक की आवक...
जब तक हमलोग पैसे के सापेक्ष मे व्यापार (अनुबंध/लेवा-बेच) करते रहेगे,
एक-दूसरे के विरुद्ध और व्यस्त बने रहेगे |
क्युकी इंसान सिल्फ अपने बारे मे सोचता है,
और,
एक की आवक...