मैं लिख देती हूं।
कभी दिल का हाल लिख लेती हूं,
जब हूं बेहाल तो लिख देती हूं,
कभी आसमान से बात करके,
उसका ख़्याल लिख देती हूं,
कभी चांदनी में मस्त होकर,
तारों की दास्तां लिख देती हूं,
कभी खिलखिलाते पत्तों का,
हवाओं से उलझना लिख देती हूं,
कभी...
जब हूं बेहाल तो लिख देती हूं,
कभी आसमान से बात करके,
उसका ख़्याल लिख देती हूं,
कभी चांदनी में मस्त होकर,
तारों की दास्तां लिख देती हूं,
कभी खिलखिलाते पत्तों का,
हवाओं से उलझना लिख देती हूं,
कभी...