अश्क
लाख कोशिश कर लो
दबाने की,ये दब नहीं पाता है"
ख़ुशी हो या ग़म ये फट से
छलक आता है"
कमबख्त ये अश्क
हाल ए दिल की दशा को
दुनियाँ के सामने उजागर
करने में देर नहीं लगाता है"
मन को तसल्ली देता रहा
दिल को मैं समझाता रहा
खुश रहने की मुद्रा में मैं
खुद को ढालता रहा
पर कम्बख़्त ये अश्क है जो
छलकने से बाज़ आता...
दबाने की,ये दब नहीं पाता है"
ख़ुशी हो या ग़म ये फट से
छलक आता है"
कमबख्त ये अश्क
हाल ए दिल की दशा को
दुनियाँ के सामने उजागर
करने में देर नहीं लगाता है"
मन को तसल्ली देता रहा
दिल को मैं समझाता रहा
खुश रहने की मुद्रा में मैं
खुद को ढालता रहा
पर कम्बख़्त ये अश्क है जो
छलकने से बाज़ आता...