...

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हर विषय की किताब है औरत..
इंसान का हसीं ख़्वाब है औरत।
हर माइने में लाजबाब है औरत।।
कुछ और पढ़ने की ज़रूरत नहीं,
हर विषय की किताब है औरत।।
रोज़ ऐ ज़ज़ा का इंतज़ार न कर,
यक़ी कर एक अज़ाब है औरत।।
क्यों यहां वहां भटकते हो ज़नाब,
हर सवाल का जवाब है औरत।।
बेशर्मो से भरी इस दुनियां केवल,
शर्म ओ हया का आब है औरत।।
जो पढ़ न सका इसको कहता है,
दुनियां में सबसे ख़राब है औरत।।
मर्म को समझो वर्ना वह जाओगे,
आंसुओं का एक सैलाब है औरत।।
उस घर का मर्द काबिले तारीफ़ है,
जिसके घर में कामयाब है औरत।।
समझने वाले ही समझ सकते हैं,
सभी की दोस्त अहबाब है औरत।।
एक तरफ़ मां है एक तरफ़ बेटी है,
दो नस्लों के बीच दोआब है औरत।।
दिल से जोड़के देखो "सिफ़र" कोई,
रिश्ता निभाने को बेताब है औरत।।


© संजय सिफ़र