...

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प्रतीक्षा प्रेम का
स्थिर तन चंचल मन
अडिग प्रतिक्षा की लगन
शम्भू जैसे पाने को गौरा संग

ये रिश्ता ना होता रक्त का
बस होता एक प्रीत का
प्रेम अपना जनम जनम का

व्यथित हो कर ढूँढ़ें मन
बन कर रहे उनका जोगन
ऐसा होता सुंदर अटूट बंधन

अपने प्रियतम प्रेम...