...

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माँ

*माँ*
वो शीतल छाँया है,
उसकी ममता में जीवन को
मिलती एक अलग ही काया है,
निस्वार्थ प्रेम की अलग परिभाषा है,
ममता की मुरत प्यार की निर्मल सुरत है,
क्या लिखुं उसके बारे में जो मेरी
दिल जान और धड़कन है,
मेरे साँसो की महक है ,
नुर है, जन्नत है ,
मेरी वजुद है ,
मुझे इस दुनिया में लाने बाली
मेरे हर साँस में मौजूद है .....,
मेरी माँ कुछ खास, अनमोल है .. ।

दिल की कलम
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