मासूम सा बचपन
काश लौटा दे अब मेरा वो मासूम सा बचपन कोई।
न आरजू है न उल्फत है न दर्द अब कोई,
तुझे मुझसे शायद अब मोहब्बत भी न कोई।
दिल का शीशा जो टूटा तो चकनाचूर हुआ,
अब दिल के टूटे आईने में तस्वीर भी ना कोई।
समंदर सा बसा...
न आरजू है न उल्फत है न दर्द अब कोई,
तुझे मुझसे शायद अब मोहब्बत भी न कोई।
दिल का शीशा जो टूटा तो चकनाचूर हुआ,
अब दिल के टूटे आईने में तस्वीर भी ना कोई।
समंदर सा बसा...