मेरे प्यार की झील
छोटी सी एक प्यार की झील थी मेरी
प्यार के एक एक कतरे से भरी वो तेरी ।।
एक छोटी और प्यारी सी एक मेरी कस्ती
करती जो सब कुर्बान जब भी तू हस्ती ।।
यु तो बड़े बड़े जहाज़ भी थे तेरे पीछे
मैं और मेरी कस्ती थी उनसे बहुत नीचे ।।
लेकिन वो पूरा जहाज़ तेरे लिए था ही नहीं
सैकड़ो कमरो में तेरा भी नाम था उसमें कहीं ।।
हाँ था तो बहुत कम तुझे देने को मेरे पास
पर मेरा सबकुछ था , समझ पाती तू काश ।।
ना अब लहरें है...
प्यार के एक एक कतरे से भरी वो तेरी ।।
एक छोटी और प्यारी सी एक मेरी कस्ती
करती जो सब कुर्बान जब भी तू हस्ती ।।
यु तो बड़े बड़े जहाज़ भी थे तेरे पीछे
मैं और मेरी कस्ती थी उनसे बहुत नीचे ।।
लेकिन वो पूरा जहाज़ तेरे लिए था ही नहीं
सैकड़ो कमरो में तेरा भी नाम था उसमें कहीं ।।
हाँ था तो बहुत कम तुझे देने को मेरे पास
पर मेरा सबकुछ था , समझ पाती तू काश ।।
ना अब लहरें है...