...

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कुछ पल
एकांत के कुछ पल कभी
जीवन में मेरे भी ऐसा हो
हो घाट बनारस का और
मन में मेरे पावन गंगा हो
ना शोर –शराबा हो कोई और
ना कोई चिल्लम– चिल्ला हो
मौजों संग बहती धारा हो और
कांधे को तेरा सहारा हो

एकांत के कुछ पल कभी
जीवन में मेरे भी ऐसा हो
हो चहु ओर निरवता घनघोर मगर
अंतस में बह रहा निर्मल झरना हो
ना चीख रहा हो अंदर कोई
ना बाहर कोई कोलाहल हो
झरने संग गिरता दर्प...