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मोलभाव
कभी बातें, जानी - अनजानी चुभने लगे,
जब मन भी खुद से परे लगे,
कुछ समय लेकर, तुम आना,
उसके बदले सुकून मिलेगा ।।
जब चलते चलते थकान लगे,
भारी कभी सपने लगें,
कर लूंगा सब आधा-आधा, और जो मेरे हिस्से आयेगा,
उसके बदले सुकून मिलेगा ।।
तुम्हारा चांद भी जब पराया लगे,
हो जब आंखों में नमी,
और मेरी तितली खुद में कहीं खोने लगे।
वे नम आंखे लेकर, तुम आना,
उसके बदले तुम्हे -- तुम मिलोगी ।।
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