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नश्वर जीवन... ✍️✍️
ये जो इतना तुम अकड़कर चल रहे हो,
ये घमंड तुम्हारा बस कुछ सांस का है।

हुस्न पर इतना भी न इतराओ, साहिब
ये काया भी तो मिट्टी के बाजार का है।

जिसे तुम बेइंतहा खूबसूरत कहते हो,
ये हुस्न तुम्हारा बस एक रात का है।

गुरुर है तुम्हे कुछ पल की जवानी का,
ये जवानी भी तो बस एक बहार का है।

अकड़ में झुकाने चले हो आसमा को
ये जीवन भी तो तुम्हारा उधार का है।

खुद को समझते हो शायद तुम अमर,
मगर ये वक्त तो बस एक सवार का है।

चाँदनी रात में जो इतना चमकते हो तुम,
ये चमक भी तो चाँद से उधार का है।

फूल खिलते हैं, महकते हैं, मिट जाते हैं,
यहीं रीत तो हमेशा से, इस संसार का है।

© Vineet