तुम और मैं।
तुम रश्क की सरगम में
मैं महफ़ूज़ सा तुम में
तुम नक़्शे सी जुड़ी हो
टूटा हूँ मगर मैं
तुम साथ पानियों के
मैं तकियों के समँदर में
तुम परछाई रौशनी की
मैं...
मैं महफ़ूज़ सा तुम में
तुम नक़्शे सी जुड़ी हो
टूटा हूँ मगर मैं
तुम साथ पानियों के
मैं तकियों के समँदर में
तुम परछाई रौशनी की
मैं...