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कहाँ आसान है स्त्री होना,
कहाँ आसान है स्त्री होना,
अरे स्त्री मतलब हर गलती का जिम्मेदार।
जिसके सिर पर इज़्ज़त, घर व सारा परिवार।
ये तो कठपुतली होती है ,कभी पिता , कभी भाई
कभी पति ,कभी बेटे की उंगली पे चलने वाली ।
कड़वा है मगर सच है, कहाँ आसान है स्त्री होना,

आज भी मैंने उसे अपने बच्चे के लिए रोते देखा ,
पर पति के आगे कुछ कहने वाला हक खोते देखा,
ऐसा किउ की ये हर रिश्ता बिना मतलब के...