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कहाँ आसान है स्त्री होना,
कहाँ आसान है स्त्री होना,
अरे स्त्री मतलब हर गलती का जिम्मेदार।
जिसके सिर पर इज़्ज़त, घर व सारा परिवार।
ये तो कठपुतली होती है ,कभी पिता , कभी भाई
कभी पति ,कभी बेटे की उंगली पे चलने वाली ।
कड़वा है मगर सच है, कहाँ आसान है स्त्री होना,

आज भी मैंने उसे अपने बच्चे के लिए रोते देखा ,
पर पति के आगे कुछ कहने वाला हक खोते देखा,
ऐसा किउ की ये हर रिश्ता बिना मतलब के निभाती है,
कभी पिता की बाते , तो कभी माँ का आँगन भूल जाती है,
यूँ मुस्करा कर हर बार कोई बहाना बना लेती है
पर कुछ भी कहो, कहाँ आसान है स्त्री होना,

अपने पसंद के कपड़ो के लिए भी , हज़ारो सवालों से निकलना पड़ता है,
ये ज्यादा मंहगा है, ये बहुत छोटा है ये कैसे ले आई
सब समझना पड़ता है ,
गली से निकल रहे है , चहरे पर हंसी तो नहीं,
मेरे गले से चुनी थोड़ी हटी तो नहीं।
हर कदम , हर बात को एक अलग तरीके से लिया जाता है
स्त्री को देवी सिर्फ पुराणों में सुना हैं, सच मे तो इस पर हर शक किया जाता है।
इसलिए तो कहा है ,कहाँ आसान है स्त्री होना,🥺
Sanju Rani 16/05/2023


© @__Dil _ki_baate_