सुनो!
सुनो!
मैं एक सादी सी लड़की हूँ,
ना मुझको सजना आता है,
ना मुझको संवरना आता है,
ना मेरी चाल में धुन है कोई,
और ना मेरा रंग गुलाबी है,
ना आंखों में काजल है गहरा,
ना होंठों पर उतनी है लाली,
ना कानों में पहनी मैं बाली,
ना मुझको है शौक़ हज़ारों का,
ना चाहत है खेल-खिलवाड़ो की,
ना ज़माने से मेरा...
मैं एक सादी सी लड़की हूँ,
ना मुझको सजना आता है,
ना मुझको संवरना आता है,
ना मेरी चाल में धुन है कोई,
और ना मेरा रंग गुलाबी है,
ना आंखों में काजल है गहरा,
ना होंठों पर उतनी है लाली,
ना कानों में पहनी मैं बाली,
ना मुझको है शौक़ हज़ारों का,
ना चाहत है खेल-खिलवाड़ो की,
ना ज़माने से मेरा...