मेरी आलोचना
सुबह से शाम शाम से रात,
होती रहती है सिर्फ़ मेरी ही बात।
किसी के पास नहीं है कोई काम,
उठते जगते सिर्फ लेते हैं मेरा नाम।
पीठ...
होती रहती है सिर्फ़ मेरी ही बात।
किसी के पास नहीं है कोई काम,
उठते जगते सिर्फ लेते हैं मेरा नाम।
पीठ...