...

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कालरात्रि
नवदुर्गा के सप्तम रूप को
न जाना तुम कभी भूल,
है यह गाथा माँ कालरात्रि की
लेलो चरणों की धूल |

हाथों में गंडासा ,वज्र लिए
हैं स्वरुप रात्रि सा काला,
बाल खुले हुए ,गधे पे सवार
रहती गले में मुंड की माला |

जब रक्तबीज के एक...