जवानी का सफर
मां तेरी गोदी से निकलकर,
मै जाने कब बड़ा हो गया पता न चला।
घर की जिम्मेदारियां संभाल ली,
कब पैरो पर खड़ा हो गया पता न चला॥
दादी मां की गोदी में सोते सोते,
ये बिछौना कब बड़ा हो गया पता न चला।
पापा के कंधे पर इक उम्र गुजार दी,
मैं कब पैरो पर खड़ा हो गया पता न चला॥
दादु की उंगली...
मै जाने कब बड़ा हो गया पता न चला।
घर की जिम्मेदारियां संभाल ली,
कब पैरो पर खड़ा हो गया पता न चला॥
दादी मां की गोदी में सोते सोते,
ये बिछौना कब बड़ा हो गया पता न चला।
पापा के कंधे पर इक उम्र गुजार दी,
मैं कब पैरो पर खड़ा हो गया पता न चला॥
दादु की उंगली...