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ग़ज़ल 6: उससे इश्क़ किया बहुत किया फिर मुकर गई मैं
उससे इश्क़ किया बहुत किया फिर मुकर गई मैं
जब से हक़ीक़त का आईना देखा सुधर गई मैं

ये इश्क़ से खोंफ मेरा आपके इश्क़ की देन है
के सब मेरे साथ चले आए जिधर जिधर गई मैं

चढ़ाया गया चने के झाड़ पे मुझे साजिश करके
मुश्किल था वहाँ से उतरना मगर उतर गई मैं

टूटा आईना किसी सूरत को संवरने नहीं देता
मेरा किस्सा ही अलग था इसलिए संवर गई मैं

ज़माने की बातों में आ तन्हाई से भागते रहे,
अकल आई तो सबसे पहले उसके घर गई मैं

मुझे मेरे शब्दों ने आवाज़ मारी तो उठना पड़ा
मुझे तो लगा था के सोते सोते अब मर गई मैं

जिन यादों ने इनकार कर दिया मेरे घर आने से
उनकी दहलीज़ पर जाने क्या सोच कर गई मैं

उससे इश्क़ किया बहुत किया फिर मुकर गई मैं
जब से हक़ीक़त का आईना देखा सुधर गई मैं

© Pooja Gaur