नजदीकियां
तेज़ बारिशें
दीवारों से टकराती खिड़कियां।
स्वादहीन है ये
गरम चाय की चुस्कियां।
तलाशती सूनी ऑंखें,
बेचैन से है ये बेचैनियां।
ये बारिश का मौसम,
उसमें अकेलापन,
दम घुटती सिसकियां।
छम से आ जाओ कहीं से
दिल मांगे थोड़ी सी नज़दीकियां।
© ChaitanyaTirth
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