चाँद का प्यार
देख रहा है चाँद गगन से ,समुन्द्र मे उठती लहरों को ।
प्रेम मे डूबा आशिक देखता है जैसे चेहरे को।।
लहरें भी उसकी इन आदाओ पर ,लहरा कर बोली।
आज जाओ नीचे, खेल लो हमसे प्यार की होली ।।
चाँद की इन हरकतो पर चाँदनी को गुस्सा आ गया ।
उसके गुस्से को भांप ,आधे चाँद पर अंधेरा छा गया।।
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प्रेम मे डूबा आशिक देखता है जैसे चेहरे को।।
लहरें भी उसकी इन आदाओ पर ,लहरा कर बोली।
आज जाओ नीचे, खेल लो हमसे प्यार की होली ।।
चाँद की इन हरकतो पर चाँदनी को गुस्सा आ गया ।
उसके गुस्से को भांप ,आधे चाँद पर अंधेरा छा गया।।
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