एहसाह-ए-इश्क़
किताबों के बीच कभी रखे नहीं गुलाब मैंने
पर हा तुझे पन्नों में लिखा जरूर हूं....!
हक़ीक़त में कभी तुझे देखा नहीं मैंने
पर हा आसमानों में तुझे ढूंढा जरूर हूं....!
ठिकाना...
पर हा तुझे पन्नों में लिखा जरूर हूं....!
हक़ीक़त में कभी तुझे देखा नहीं मैंने
पर हा आसमानों में तुझे ढूंढा जरूर हूं....!
ठिकाना...