...

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मेरे प्रभूजी,मैं आपकी।
प्रणाम प्रभूजी🙏,
साँसे...., आपने दी, नाम जप के लिये,
अनगिनत विचारों में...
फ़िजूल के विचारों को ऊर्जा देकर पालने से..इन्हें कोई काम न हों..।

दिमाग़..., अपने पास रखने,और
दिल/मन...., अपने इष्ट, अभीष्ट को देने के लिए दिया..प्रभूजी,
के अपने पास दिल दुःखता हैं, प्रभूजी।

भावों को..., आपने, आपको समर्पित करने हेतु
दिया...
के हर कोई मोल.., कहाँ जान पाता हैं..निश्छल भावों का..प्रभूजी,

इन्द्रियाँ...,आपने वश में रखने के लिए दी, प्रभूजी,
सही/आपके आँचल में ...समर्पण से...
बड़ा वशिकरण कहाँ, प्रभूजी,

अंतरआत्मा..., आपके अनुसरण हेतु औऱ ख़ुद के मार्गदर्शन हेतु दी,प्रभूजी...
फिर भी भटक जाती हैं,कभी -कभी...
के आपको कण- कण से भी पा लेने की..,
चाह रखतीं हैं, अक्सर...,प्रभूजी,

शरीर..., औरों की सेवा हेतु दिया,प्रभूजी..,
प्रयास पूरा हैं.. प्रभूजी,


इस तरह ...,
इंसान..., आपने,शास्वत प्रेम हेतु,बनाया.. प्रभूजी,
experiment करने वाले,ये कहाँ जान पाते हैं.. प्रभूजी,

ये जीवन..., गोरख धँधा, प्रभूजी...,
कुछ दिए बिना...कुछ मिलता नहीं यहाँ पे..,

स्वाभिमान(हम आपके हैं, आप हमारे प्रभूजी) ,ये स्वाभिमान... दिया..
खुद के सँग न्याय करने हेतु...,
के खुद के बिना..,
दूसरों की कल्पना कहाँ,
प्रभूजी,

आत्म सौंदर्य..., आपने दिया,अपने कर्मों द्वारा खुद को व्यक्त करने हेतु...,
चराचर जगत में,आपसे अधिक कोई व्याप्त कहाँ प्रभूजी, कोई व्यक्त कहाँ.. प्रभूजी।

ऐसी "निर्मल चेतना युक्त सरस रचना" के लिये, आभार प्रभूजी, आभार प्रभूजी।
🙏🌍🐚🇮🇳




© nikita sain