नज्म-ए-दीप
जिसमे तेरा ज़िक्र ना हो
फिर क्या मेरी खाक नज्म
तुझसे ना खूबसूरत होगी
लिख दूं चाहे लाख नज्म
तेरा नाम आते ही हर्फ में
हो जाये मेरी पाक नज्म
जिसमे तेरा जिक्र ना हो
फिर क्या मेरी खाक नज्म
मुझमें भी है तुझे खोजती
देख मेरी चालाक नज्म
"दीप" जले चाहे आग लगे
हो जाये जलकर राख नज्म
पढ़कर लबों से रोशन कर दे
रही रास्ते ताक नज्म
जिसमे तेरा जिक्र ना हो
फिर क्या मेरी खाक नज्म
#दीप
© शायर मिजाज
फिर क्या मेरी खाक नज्म
तुझसे ना खूबसूरत होगी
लिख दूं चाहे लाख नज्म
तेरा नाम आते ही हर्फ में
हो जाये मेरी पाक नज्म
जिसमे तेरा जिक्र ना हो
फिर क्या मेरी खाक नज्म
मुझमें भी है तुझे खोजती
देख मेरी चालाक नज्म
"दीप" जले चाहे आग लगे
हो जाये जलकर राख नज्म
पढ़कर लबों से रोशन कर दे
रही रास्ते ताक नज्म
जिसमे तेरा जिक्र ना हो
फिर क्या मेरी खाक नज्म
#दीप
© शायर मिजाज