...

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ऐ कविता...
ऐ कविता! वो समझते भी हैं, तेरे दिल के ज़ज्बात,
या लिख देते हैं वो यूँ ही बहुत ख़ूब और लाजवाब।।

कभी रोती तू ज़ार-ज़ार, कभी हँसती है बार-बार,
वो सुनते भी हैं सवाल, या दे देते यूँ ही बस जवाब।।

दिल के क़रीब रहने वाले, होते हालात से अनजान,
वो जाने हैं हाल-ए-दिल, या यूँ ही बना रखा नवाब।।

फ़िक्र के नाम रखते हैं जो हिसाब तेरे दिन-रात का,
वो देखते आँखों का दर्द या यूँ ही चढ़ा रखा नक़ाब।।

ऐ कविता! कोई सुनें या ना सुने, हमें बढ़ते जाना है,
कोई समझे या ना समझे, हमें यूँ ही जीना बेहिसाब।।
-संगीता पाटीदार


#Poetry