चार दिवारी में बंद हम-तुम.....
जिन्दगी में अब कोई और रंग नहीं
चार दिवारी मेंहम-तुम और कोई नहीं ,
ये वो लम्हे है जब हम-तुम और पास है
पर क्या करें साथ होकर भी हम साथ नहीं है ।।
चार दिवारी में बंद हम-तुम.....
आज जिन्दगी का हर सुख मेरे पास है
बस जो नहीं है मेरे पास वो तेरा साथ है ,
इस चार दिवारी में आज भी तेरी याद है
इत्र की तरह हर पल वो मेरे साथ है ।।
चार दिवारी में बंद हम-तुम.....
© 😜Rudy👀
चार दिवारी मेंहम-तुम और कोई नहीं ,
ये वो लम्हे है जब हम-तुम और पास है
पर क्या करें साथ होकर भी हम साथ नहीं है ।।
चार दिवारी में बंद हम-तुम.....
आज जिन्दगी का हर सुख मेरे पास है
बस जो नहीं है मेरे पास वो तेरा साथ है ,
इस चार दिवारी में आज भी तेरी याद है
इत्र की तरह हर पल वो मेरे साथ है ।।
चार दिवारी में बंद हम-तुम.....
© 😜Rudy👀