भीगी आंखें भीगी पलके भीगी स्वासे संसार रखते हैं
भीगी आंखें भीगी पलके
भीगी चेहरे संसार रखते हैं
दिल में रखते जिसे हम
वही हमें बाजार में रखते हैं
पैसों को पुजते है लोग यहां
दो पैसे कहां विचार में रखते हैं
लात मार देते अक्सर वह लोग
जिसकी पांव माथे से लगा के रखते हैं
हाथ फैलाने से चंद सिक्के मिलते
कहां गरीबों को सहानुभूति के काम मिलते हैं
अंशुओं के होते हैं व्यापार यहां
स्नेह नहीं गरीब परिवार को मिलते हैं
सिर्फ कहने की है...
भीगी चेहरे संसार रखते हैं
दिल में रखते जिसे हम
वही हमें बाजार में रखते हैं
पैसों को पुजते है लोग यहां
दो पैसे कहां विचार में रखते हैं
लात मार देते अक्सर वह लोग
जिसकी पांव माथे से लगा के रखते हैं
हाथ फैलाने से चंद सिक्के मिलते
कहां गरीबों को सहानुभूति के काम मिलते हैं
अंशुओं के होते हैं व्यापार यहां
स्नेह नहीं गरीब परिवार को मिलते हैं
सिर्फ कहने की है...