...

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कुछ बातें अनकही
ख़ामोश रहे हम कई दफ़ा
हर बार अपनी बात रखनी ज़रूरी तो नही
क्यों समझ कर भी तुम समझ ना पाए मेरे जज़्बात
इसका जवाब दो तुम मुझे ये भी लाज़मी तो नही
रहने देते है अब उन एहसासों को जो बस तुम्हारे लिए उभर रही थी
वो हर बार ज़ाहिर किये जाए ये...